Poetry

जब जब हम खुदसे दूर मिलेंगे।
तेरे प्यार में पागल मजबूर मिलेंगे।

ये दिल आसानी से नहीं खिलता।
ऐसे कैसे किसिसे भी नही मिलता।

आज है कल भी ऐसेही तेरे प्यार में चूर मिलेंगे।
जब जब हम खुदसे दूर मिलेंगे।
तेरे प्यार में पागल मजबूर मिलेंगे।३..

मिलकर तुमसे दिल मजबूर होगया।
मिला तुमसे और खुद्से दूर होगया।

चाहा मैंने प्यार तुम्हारा मिल न सका।
आजतक मन मेरा तुम्हे भूल न सका।

नजरे मिली हम आंखों ही आंखों में मिले।
हो गए शुरू दिल की धड़कनों के बढ़ने के सिलसिले।
वो पास तो है पर साथ नही है।
मिलते रोज पर मुलाकात नही है।
शायद मेरे मेरी क़िस्मत से है गिले।
नजरे मिली हम आंखों ही आंखों में मिले।
बाते होती इतनी पर लगता बात नही है।
लबों पर निगाहों में दिखते जज़्बात नही है।

मन के अहसास मन से निकलकर तेरे पास आते।
तो हम साथ साथ में सुहाने पल बिताते।
नजरो में छुपी मन की लिखावट।
बैचेन करे मुझे तेरे आने की आहट।
लबों से कह पाता तो हम राह अपनी साथ मिलाते।
मन के अहसास मन से निकलकर तेरे पास आते।
तो हम साथ साथ में सुहाने पल बिताते।

हसरते दिल की नाकाम हो गई।
दर्द से भरी ज़िंदगी मेरी आम हो गई।
जब भी मैंने पलके उठाई।
दिल की बातें निगाहों ने बताई।
अभी रौशनी जाग उठी थी मन में और शाम हो गई।
काबू नही मन पर अब ज़िंदगी यादों की गुलाम हो गई।
दर्द से भरी ज़िंदगी मेरी आम हो गई।

ये मौसम सुहाना सुहाना लगने लगा है।
ये दिल मिलने का बहाना ढूँढने लगा है।
एक पल में ही दिल उनपर फिदा हो गया
ये दिल खिलौना आसमाँ पर चढ़ने लगा है।
ना कुछ कह पाता न चुप रह पाता है।
मन ही मन में मन साथ का सपना गढ़ने लगा है।
कहूँ मैं दिल की बात और कहीँ वो नकार न दे
इसी डर से दिल का धड़कना बढ़ने लगा है।
बहका दिल मेरा उन्हें देखकर I
खो गया उनमें जिंदगी रोककर I
काबू नहीं मनपर ना मन को चैन है I
लब तो है चुप पर निगाहें ना मौन है I
पूछने लगे हैं सब मुझे वो कौन है I
कैसे बताऊँ प्यार की दुनिया में उनकी हम अनजान है I
उन्हें लगता हम उनकी जिंदगी में आते जाते मेहमान हैं I
ना कहते दिले हाल खुदको रोक लेते है।
बीच में जो है फासले मुझको टोक देते है।

तुम आसमां की चांदनी मैं दूर चमकता तारा।
लबों से कह नहीं पाते निगाहों ने कई बार पुकारा।

मैं तो हार गया लेकिन मेरा दिल नही हारा।
पल पल हर पल तुम्हारे खयालों में गुजारा।